भारी कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाये (AGR Dues) में सुधार के लिए दायर टेलिकॉम कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया है। इससे वोडाफोन आइडिया की फंड जुटाने की कोशिशें प्रभावित हो सकती हैं। एनालिस्ट्स का कहना है कि वोडाफोन आइडिया के पास अब दिवालिया (bankruptcy) के लिए आवेदन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
एनालिस्ट्स का कहना है कि टेलिकॉम मार्केट में जारी प्रतिस्पर्द्धा को देखते हुए कंपनी फिलहाल बहुत ज्यादा टैरिफ बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में अगर उसे सरकार की तरफ से कोई बड़ा राहत पैकेज नहीं मिला तो उसके लिए अगले साल अप्रैल के बाद अपना वजूद बचाए रखना मुश्किल हो सकता है। अमेरिका की इक्विटी रिसर्च फर्म William O’ Neil & Co की भारतीय यूनिट में इक्विटी रिसर्च के हेड मयूरेश जोशी ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया के पास विकल्प तेजी से कम हो रहे हैं। एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कंपनी की फंड जुटाने की कोशिशें प्रभावित हो सकती हैं।’
दिवालिया होने के कगार पर
उन्होंने कहा कि कंपनी को अगले साल अप्रैल तक 24,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना है और फंडिंग के बिना कंपनी के लिए इसे पूरा कर पाना मुश्किल होगा। अगर कंपनी के पास सारे विकल्प खत्म हो जाते हैं तो फिर टेलिकॉम सेक्टर में दो ही कंपनियां (रिलायंस जियो और एयरटेल) बच जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वोडाफोन आइडिया और एयरटेल की याचिका खारिज कर दिया था। इन कंपनियों ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट द्वारा की गई एजीआर कैल्कुलेशन में सुधार के लिए यह याचिका दायर की थी।
एक टॉप ग्लोबल ब्रोकरेज के एक एनालिस्ट ने कहा कि वोडाफोन आइडिया जल्दी ही बैंकरप्सी कोर्ट का रुख कर सकती है क्योंकि एजीआर बकाये के मामले में उसके लीगल ऑप्शन खत्म हो गए हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद संभावित ग्लोबल इनवेस्टर्स फंडिंग कमिटमेंट से किनारा कर सकते हैं। इस बारे में वोडाफोन आइडिया ने ईटी के सवालों का जवाब नहीं दिया। कंपनी पर 1.8 लाख करोड़ रुपये का भारीभरकम कर्ज है जबकि केवल 350 करोड़ रुपये का कैश बैलेंस है।
फंड जुटाने का प्रयास
कंपनी पिछले 10 महीनों से 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास कर रही है लेकिन अब तक उसकी कोशिशें नाकाम ही रही हैं। कंपनी ने फंड जुटाने के लिए Oak Hill की अगुवाई वाले कंसोर्टियम और अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी फर्म्स केकेआर (KKR) तथा अपोलो ग्लोबल (Apollo Global) से भी बात की थी। कंपनी पर 58,254 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। कंपनी 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है और बाकी रकम उसे 2031 तक 10 किस्तों में चुकानी है।
वोडाफोन आइडिया ने चौथी तिमाही के रिजल्ट की घोषणा के दौरान कहा था कि उसे सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद है। इससे उसका एजीआर बकाया करीब आधा रह जाएगा। कंपनी के खुद के एसेसमेंट के मुताबिक उस पर 21,533 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। इसी तरह एयरटेल के मुताबिक उस पर 13,003 करोड़ और टीटीसीएल पर 2,197 करोड़ रुपये बकाया है। लेकिन डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन (DoT) के मुताबिक इन कंपनियों पर कहीं ज्यादा बकाया है।
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